Ekta Singh

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लेखनी कहानी -12-Jan-2023


 समाज की रेखा (अंत भले का भला)

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रीटा-मां आओ ना मेरे पास बैठो मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है?
मां-आती हूं बेटा आराम से बैठ जा। कितने दिनों बाद आ आई हो? अकेली क्यों आई है? बच्चे क्यों नहीं लेकर आई?


रीटा-मां तुम बहुत सवाल करती हो।  बच्चे आते  तो तुम बच्चों की सेवा में लग जाती हो। मेरे पास तनिक भर भी नहीं बैठती ।


मां-अच्छा बाबा आती हूँ। क्यों परेशान हो रही है? आज मैं तेरे पास बैठूंगी यह ले चाय पी ले ।अच्छा बता अब क्या बात है?


रीटा -मां मैं जो बात कहने जा रही हूँ। उससे तुम परेशान मत होना। माँ मैं जिस स्कूल में पढ़ाती हूँ। 


उधर अनिल भी स्पोर्ट्स का अध्यापक  है ।
मां-अनिल कौन है बेटा?


रीटा-मां मैं उसको पिछले 4 साल से जानती हूँ। 
बहुत अच्छा इंसान है।मुझे बहुत पसंद करता है माही के जाने के बाद उसने मुझे बहुत संभाला है।


हर समय मेरी मदद के लिए खड़ा रहा है।उसकी 5 साल की एक बेटी भी है। उसकी पत्नी की डिलीवरी के समय मृत्यु हो गई थी। वह अकेला ही अपनी बेटी को संभालता है।


मां-यह क्या कह रही है ?बेटा तू  दूसरी शादी करेगी। समाज क्या कहेगा? तेरे पापा को मैं कैसे समझाऊंगी?


रीटा-मां जब मैं अकेले ही अपने बच्चों को संभाल रही थी उस समय यह समाज कहाँ था? कोई गलत काम नहीं कर रही। मेरे दोनों बच्चे अनिल को पसंद करते हैं। मैं चाहती तो बिना बताए भी यह कदम उठा सकती थी? लेकिन अनिल ने मुझे मना कर दिया उसने कहा तुम्हारे  सास- ससुर नहीं है इसलिए तुम्हें अपने माता पिता की आज्ञा लेनी चाहिए। 

मां मुझे प्रोत्साहन देने की जगह आप मुझे नीचे धकेल रही हो।
मां-नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है मुझे पता है माही के जाने के बाद किस तरह से तूने अपने दोनों बच्चों और खुद को संभाला है। मुझे तुझ पर गर्व है बेटा।


लेकिन बेटा हमारा समाज दोगुला है। यहाँ पर  लड़के और लड़की के लिए अलग नियम है ।

एक लड़का अगर दूसरी शादी करता है तो समाज उसे स्वीकार करता है लेकिन अगर एक लड़की दूसरी शादी करती है तो समाज उसे गलत नजर से देखता है। एक  तरफ हम चाँद को छू रहे हैं लेकिन आज भी हमारी सोच वही दकियानूसी है।

रीटा-मां मुझे समाज की परवाह नहीं है आप दोनों का आशीर्वाद चाहिए।
मां-अरे रीटा के बाबूजी ??


आप कब से हमारी बातें सुन रहे हैं? अंदर आ जाइए
बाबूजी- बेटा तू परेशान मत हो। हम दोनों तेरे साथ हैं। इसी घर से एक बार फिर तेरी डोली निकलेगी।

अनिल  को कल रात के खाने पर बुला लो। हम दोनों उससे मिलना चाहते हैं
रीटा-धन्यवाद बाबूजी
रीटा अपने घर वापस आ जाती है


ट्रेन ट्रेन ट्रेन ट्रेन
ध्रुव-मम्मा आप कहाँ चले गए थे? आपने बताया भी नहीं हम दोनों आपकी चिंता कर रहे थे??


रीटा-बेटा आप दोनों के नाना नानी से मिलने गई थी
मानसी-मम्मा हम दोनों को भी  साथ ले जाते।
रीटा-ठीक है बेटा कल हम तीनों स्कूल से सीधे नानी के घर चलेंगे
यह मजा आएगा हिप हिप हुर्रे!!!!!!
रीटा दूसरे कमरे में जाकर अनिल को फोन  मिलाती है।
रीटा-हेलो अनिल कैसे हो???
अनिल-यार मुझे बहुत घबराहट हो रही है बताओ ना तुम्हारे मां बाबूजी ने क्या कहा??
रीटा रोने का नाटक करते हुए मुझे माफ कर दो अनिल माँ बाबूजी ने इस शादी के लिए मना कर दिया
अनिल-क्या? क्यों मना कर दिया? मैं खुद जाऊँगा तुम्हारे माँ बाबूजी को मना लूंगा।।
तुम परेशान मत हो मैं उनको मना लूंगा।
उधर रीटा जोर जोर से हंसने लगती है। 
अनिल-क्या हुआ तुम हंस क्यों रही हो???
अरे यार मैं मजाक कर रही हूं ।मां बाबू जी मान गए हैं। उन्होंने तुम्हें कल रात को खाने पर बुलाया है।
अनिल-तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी? कल स्कूल आओ मैं तुम्हें बताता हूं ।तुमने मुझे जो परेशान किया है।


रीटा-हा हा हा हा हा हा हा


अनिल-तुम्हें बहुत हँसी आ रही है।
रीटा-अच्छा बाबा माफ कर दो कल शाम को तैयार रहना।
अनिल-जो हुकुम मेरे सरकार
दोनों तरफ से  फोन कट जाता है।


ट्रेन ट्रेन ट्रेन


रीटा के सामने माही की बड़ी बहन खड़ी होती है। रीटा-अरे दीदी आप??? अचानक आपने बताया भी नहीं???
मीरा-क्यों मैं नहीं आ सकती ??भाई के बाद भाभी पर मेरा कोई हक नहीं??? अपने भतीजे भतीजी से मिलने आई हो???


रीटा-नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है माही के जाने के बाद आपने तो घर आना ही छोड़ दिया ।आपने तो कभी पूछा ही नहीं ? तीनों कैसे हैं?? और किस हाल में जी रहे हैं??


मीरा-नहीं ऐसी कोई बात नहीं है अपने परिवार की उलझनो में कुछ फंसी हुई थी??
रीटा-आपने तो फोन करना भी बंद  दिया?
मीरा-तुम भी तो फोन कर सकती थी तुमने भी तो फोन नहीं किया?
रीटा-दीदी मेरा तो जीवन ही लूट गया था??  कैसे मैंने खुद को संभाला है? यह मैं ही जानती हूँ। माही के जाने के बाद मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कैसे बच्चों को पालूंगी?? लेकिन भगवान का शुक्र है कि जिस स्कूल में माही  नौकरी करते थे मुझे उनकी जगह पर उन्होंने रख लिया?? वरना तो मेरे बच्चों का जीवन खराब हो जाता?? आपने तो एक बार सोचा भी नहीं मेरे बच्चे कहाँ जाएंगे।  और आप मेरे से कह रही हैं कि फोन नहीं किया??दीदी आप बड़ी हैं मुझे यह कहते हुए अच्छा नहीं लग रहा??
ध्रुव-अरे बुआ आप कितने दिनों बाद आए हो???।मानसी जल्दी आ बुआ आई है।।
दोनों बच्चे बुआ के गले लग गए

रीटा रसोई घर में खाना बनाने चली गई

रीटा-बुआ को लेकर आ जाओ खाना तैयार है
सब ने मिलकर खाना खा लिया बच्चे अपने कमरे में जाकर सो गए।
मीरा-रीटा जरा मेरे पास आकर कमरे में बैठो।
रीटा-हाॅ जी दीदी मैं आती हूं हां जी दीदी बताइए
मैं यह क्या सुन रही हूं ????कि तुम दूसरी शादी कर रही हूं??
रीटा-हां दीदी
मीरा-ऐसा मत करो मेरे ससुराल में बहुत बदनामी होगी? लोग बहुत बातें बना रहे हैं। भाई को गए हुए कुछ ही साल हुए हैं?? मेरे सास-ससुर बहुत ताने मार रहे हैं?? तुम्हारे जीजा जी मुझे उल्टा सीधा बोल रहे थे??  मैं उनको क्या जवाब दूं??

रीटा-दीदी एक बात बताओ ?माही छोड़ कर चले गए तब मुझे कौन पूछने आया ??? आपके सास- ससुर एक बार भी मुझे पूछने आए? आपके पति एक बार भी मेरे सर पर हाथ रखने आए??? आपके पति ने कभी सोचा मेरे बच्चे कैसे जिएंगे????

मुझे माफ करना अनिल ही है जिसने मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया। मेरे बच्चों को भी संभाला। माही को मैं आज भी बहुत प्यार करती हूं और जिंदगी भर करती रहूंगी यह बात मैंने अनिल को भी बता दी है ।मैं माही को कभी नहीं भूल सकती लेकिन दीदी यादों के सहारे जिंदगी नहीं चलती ।मुझे प्रैक्टिकली इस जिंदगी के बारे में सोचना होगा? आप हमेशा मेरी दीदी रहेंगी। जो सम्मान मैं माही के सामने करती थी। वही हमेशा करूँग? मुझे इस लक्ष्मण रेखा को तोड़ना होगा।। माही भी ऊपर बैठे बहुत खुश हो रहे होंगे । उनकी पत्नी ने कोई गलत फैसला नहीं लिया है उन्हें भी अपनी पत्नी पर अभिमान होगा।।
अगली सुबह दीदी अपने घर चली गई।।

स्कूल से सीधे दोनों बच्चों के साथ माँ के पास
पहुँचगई।
शाम को अनिल सही समय पर घर आ गया।
मां और बाबू जी ने उसका बहुत स्वागत किया।

अनिल उन दोनो को बहुत पसंद आया। मेरे दोनों बच्चे भी मेरे इस फैसले से खुश थे।
अगले दिन बाबूजी ने हमारे पारिवारिक पंडित जी को घर बुला लिया ।कहते हैं ना **जब संजोग बनने लगते हैं तो देर बिल्कुल नहीं होती।
हम दोनों की कुंडली मिलाकर पंडित जी ने 2 हफ्ते बाद शादी का मुहूर्त निकाला था
सभी लोग इस फैसले से खुश थे।
"अंत भले का भला ही होता है।"
    एकता सिंह चौहान
     दिल्ली


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4 Comments

Gunjan Kamal

20-Jan-2023 04:55 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Varsha_Upadhyay

16-Jan-2023 08:33 PM

बहुत खूब

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अदिति झा

15-Jan-2023 06:15 PM

Nice 👍🏼

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Ekta Singh

15-Jan-2023 06:35 PM

Thankyou

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